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प्रवर्तन निदेशालय का इतिहास

1. प्रवर्तन निदेशालय या ईडी एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। इस निदेशालय की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा,1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था। दिल्ली में अवस्थित मुख्यालय वाले इस इकाई का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक के रूप में विधिक सेवा के एक अधिकारी द्वारा किया गया,जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्रतिनियुक्ति पर लिए गए एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना के 03 निरीक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। बंबई और कलकत्ता में इसकी 02 शाखाएँ थीं।

2. वर्ष 1960 में इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर दिया गया था। समय बदलता गया,फेरा 47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा,1973आ गया। 04वर्ष की अवधि )1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय,कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया । वर्तमान में, निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

3. आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते फेरा,1973,जो कि एक नियामक कानून था,उसे निरसित कर दिया गया और इसके स्थान पर, 01जून, 2000 से एक नई विधि विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 फेमा लागू की गई। बाद मे, अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम,2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 01.07.2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया। हाल ही में,विदेशों में शरण लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के कारण, सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (एफइओए) पारित किया है और प्रवर्तन निदेशालय को 21 अप्रैल, 2018 से इसे लागू करने का दायित्व सौंपा गया है।