1. धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) यह प्रावधान करता है कि अपराध की सुनवाई कर रहा विशेष न्यायालय धन शोधन में शामिल किसी भी संपत्ति/परिसंपत्तियों को किसी तीसरे पक्ष के दावेदार को विधिसम्मत हित के साथ वापस कर सकता है, जिसमें बैंक भी शामिल हैं।
2. विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अपनी कंपनियों के माध्यम से धन का गबन करके धोखा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप बैंकों को कुल 22,585.83 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट की अगली कड़ी के रूप में, प्रवर्तन निदेशालय ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेनों एवं विदेशों में छुपाई गई संपत्तियों के उलझे हुए जाल की गुत्थी सुलझाने के लिए त्वरित कार्रवाई की है। जांच से यह भी पूरी तरह से साबित हो गया है कि इन तीनों आरोपित व्यक्तियों ने बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए गए धन के रोटेशन और धन के गबन निकासी के लिए अपने द्वारा नियंत्रित नकली संस्थाओं का इस्तेमाल किया।
3. ईडी द्वारा की गई जांच के परिणामस्वरूप, पीएमएलए के प्रावधानों के तहत 19,111.20 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। जिसमें से 15,113.91 करोड़ रुपये की संपत्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रदान कर दी गई है। इस प्रकार, इन मामलों में कुल धोखाधड़ी की गई निधियों का 84.61 प्रतिशत कुर्क/जब्त कर लिया गया है और बैंकों को हुए कुल नुकसान का 66.91% बैंकों को सौंप दिया गया है/भारत सरकार के लिए जब्त की गई है। इसके अलावा, एसबीआई के नेतृत्व में बैंक के सह-समूह ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें सौंपी गई संपत्तियों के विक्रय से 7975.27 करोड़ रुपये की वसूली की है।